अमेठी में हाईवे मुआवजा घोटाले की जांच तेज

लखनऊ-वाराणसी हाईवे के मुसाफिरखाना बाईपास के लिए जमीन अधिग्रहण के दौरान हुए मुआवजा घोटाले की जांच तेज हो गई है। पुलिस ने तहसील से मामले से संबंधित सभी रिकॉर्ड कब्जे में लिए हैं। इन रिकॉर्डों के आधार पर मुआवजा वितरण प्रक्रिया की पूरी प्रोफाइल तैयार की जा रही है। इसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

इस मामले में 11 अक्टूबर को रजिस्ट्रार कानूनगो सुरेंद्र प्रसाद श्रीवास्तव ने तत्कालीन एसडीएम आरडी राम और अशोक कुमार कनौजिया के खिलाफ केस दर्ज कराया था। पुलिस ने दोनों अफसरों के खिलाफ 382 करोड़ रुपये की शासकीय क्षति का आरोप लगाया है।

कोतवाल मुसाफिरखाना विनोद सिंह ने बताया कि मामले की जांच के लिए तहसील से सभी रिकॉर्ड कब्जे में लिए गए हैं। इन रिकॉर्डों के आधार पर घोटाले में शामिल लोगों की भूमिका की जांच की जा रही है। इसके अलावा, मुआवजा वितरण प्रक्रिया में शामिल सभी अधिकारियों के बयान दर्ज किए जा रहे हैं।

एसपी डॉ. इलामारन जी ने बताया कि मामले की जांच के लिए सीओ को लगाया गया है। इसके अलावा, मामले की जांच आर्थिक अपराध शाखा से कराने की संस्तुति की गई है।

क्या था मामला

राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-56 के मुसाफिरखाना बाईपास के निर्माण के लिए वर्ष 2014-15 में जमीन अधिग्रहण किया गया था। इस दौरान तत्कालीन अफसरों ने नियम विरुद्ध तरीके से मुआवजा वितरण किया। उन्होंने पूर्व प्रचलित राष्ट्रीय राजमार्ग से दूरस्थ स्थित अधिग्रहीत भूमि के गाटों के मुआवजा का निर्धारण राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे स्थित भूमि की सर्किल दर के आधार पर कर दिया। इससे सरकार को 382 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

कैसे खुला राज

वर्ष 2022 में डीएम राकेश कुमार मिश्र ने मामले की जांच कराई तो पाया गया कि अफसरों ने गलत तरीके से मुआवजा वितरण किया है। इसके बाद उन्होंने दो गांवों के मामलों में 9.81 करोड़ रुपये की रिकवरी के आदेश दिए हैं। वहीं, 28 मामले की फाइल लखनऊ आयुक्त के यहां सुनवाई के लिए भेजी गई है।


Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *